ध्रुव तारा
ध्रुव तारा है आसमां की शान; कभी ना करता अपने पे अभिमान
सबसे ज्यादा चमक ही इसमें; पर ये ना बदलता अपना स्थान
ध्रुव तारे मुझे ये बताओ; तुम हो पास या हो डर
होते पंख तो आता मिलने; करता मैं भी फुर्र फुर्र फुर्र
मैं तो बन्ना चाहूँ तुमसा; सही राह लोगों को दिखाऊं मैं
गर्व हूं सबको मेरे ऊपर; ऐसा इंसान बन जाऊं मैं
