जानिए कुछ वास्तु रचना के मुख्य सिद्धांत

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1. घर का मुख्य द्वार 4 में से किसी 1 दिशा में हो। वे 4 दिशाएं हैं- ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम। 2. घर के सामने आंगन और पीछे भी आंगन हो जिसके बीच में तुलसी का एक पौधा लगा हो। 3. घर के सामने या निकट तिराहा-चौराहा नहीं होना चाहिए। 4. घर का दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए अर्थात बीच में से भीतर खुलने वाला हो। दरवाजे की दीवार के दाएं ‘शुभ’ और बाएं ‘लाभ’ लिखा हो। 5. घर के प्रवेश द्वार के ऊपर स्वस्तिक अथवा ‘ॐ’ की आकृति लगाएं। 6 . घर के अंदर आग्नेय कोण में किचन, ईशान में प्रार्थना-ध्यानका कक्ष हो। नैऋत्य कोण में शौचालय, दक्षिण में भारी सामान रखने का स्थान आदि हो। 7. घर में बहुत सारे देवी-देवताओं के चित्र या मूर्ति न रखें। घर में मंदिर न बनाएं। 8. घर के सारे कोने और ब्रह्म स्थान (बीच का स्थान) खाली रखें। 9. घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न रखें।