अध्याय -2

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शौनकजी बोले सूतजी महा भाग परमार्थ के ज्ञाता |
धन्य हैं आप इस अदभुत कथा प्रदाता ||
02
मन को जो शुद्ध करे और करे पापों का नाश |
शिव को दे सन्तोष परम कथा सुनायें आप ||
03
कृपा से आपकी निश्चय ही हमने लिया जान |
पृथ्वी में नहीं कुछ इस समान लिया पहचान ||
04
कलि की इस कथा से शुद्ध होगा कौन कौन |
करो जग को कृतार्थ सूतजी छोडो अपना मौन ||