‘लकड़ी की काठी’ गीत के बोल

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लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोडे की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा – 2

घोड़ा पहुंचा चौक में, चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई
टग-बग, टग-बग टग-बग, टग-बग
घोड़ा पहुंचा चौक में – 2
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा, दुम उठा के दौड़ा

घोड़ा था घमंडी, पहुंचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ पड़ी थी, बरफ में लग गई ठंडी
घोड़ा था घमंडी – 2
टग-बग, टग-बग टग-बग, टग-बग
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा

घोड़ा अपना तगड़ा है, देखो कितनी चर्बी है
चलता है महरौली में पर घोड़ा अपना अरबी है
टग-बग, टग-बग टग-बग, टग-बग
घोड़ा अपना तगड़ा है – 2
बाँह छुड़ा के दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी – 2