‘ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम’ गीत के बोल
जलते भी गये कहते भी गये
आज़ादी के परवाने
जीना तो उसीका जीना है
जो मरना देश पर जाने
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों मैं जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन…
कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई यू पी से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन…
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम,
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम,
तेरी धरती पे है जो, क़दम गैर का,
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम,
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम,
जो भी दीवार आएगी अब सामने,
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे,
ऐ वतन, ऐ वतन…
सह चुके हैं सितम हम बहुत गैर के,
अब करेंगे हर एक वार का सामना,
सह चुके हैं सितम हम बहुत गैर के,
अब करेंगे हर एक वार का सामना,
झुक सकेगा ना अब सरफरोशों का सर,
चाहे हो खूनी तलवार का सामना,
चाहे हो खूनी तलवार का सामना,
सर पे बांधे कफ़न, हम तो हँसते हुए,
मौत को भी गले से लगा जायेंगे,
ऐ वतन ऐ वतन…
जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से,
देशवालो तुम आंसू बहाना नहीं,
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन,
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं,
लौट कर आ सकें ना जहाँ में तो क्या,
याद बनके दिलों में तो आ जायेंगे,
ऐ वतन, ऐ वतन…
