आ चल के तुझे

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आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले

सूरज की पहली किरण से
आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुल कर
घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूप खिले, कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो..


जहाँ दूर नज़र दौड़ाएँ
आज़ाद गगन लहराए
जहाँ रंग-बिरंगे पंछी
आशा का संदेसा लाएँ
सपनों में पली
हँसती हो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले
जहाँ ग़म भी न हो..

सपनों के ऐसे जहां में
जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो
हम जा के वहाँ खो जाएँ
शिकवा न कोई गिला हो
कहीं बैर न हो, कोई गैर न हो
सब मिलके यूँ चलते चलें
जहाँ गम भी न हो..