‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत के बोल
मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फ़सलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी ज़मीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद
देने वाली।
