कहा और केसा हो आपके घर का पूजाघर
घर में पूजा के कमरे का स्थान सबसे अहम होता है। इस स्थान से ही हमारे मन और मस्तिष्क में शांति मिलती है तो यह स्थान अच्छा होना जरूरी है। आपकी आय काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि घर में पूजाघर कहां है। यहां हिदायत यह है कि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पूजाघर बनवाएं अन्यथा सभी तरह का नुकसान उठाना पड़ सकता है। वास्तु की नजर से पूजाघर घर के बाहर एक अलग स्थान देवता के लिए रखा जाताथा जिसे परिवार का मंदिर कहते थे। बदलते दौर के साथ एकल परिवार का चलन बढ़ा है इसलिए पूजा का कमरा घर के भीतर ही बनाया जाने लगा है अतएव वास्तु अनुसार पूजाघरका स्थान नियोजन और सजावट की जाए तो सकारात्मक ऊर्जा अवश्य प्रवाहित होती है। घर में पूजा घर या पूजा का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए। पूजा घर में मूर्तियां या फोटो इस तरह से रखनी चाहिए कि वे आमने-सामने न हों। घर में सार्वजनिक मंदिर की तरह पूजा कक्ष में गुम्बद, ध्वजा, कलश, त्रिशूल या शिवलिंग इत्यादि नहीं रखने चाहिए। मूर्तियां बार अंगुल से अधिक ऊंची नहीं रखना चाहिए।
