साझा ताज

साझा ताज

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एक दिन सम्राट अकबर ने अपने दरबार में एक दिलचस्प प्रश्न उठाया:
“अगर एक ही सिंहासन पर दो राजा बैठें, तो असली नेता कौन होगा?”

दरबारी चुप हो गए। कुछ ने कहा, “जिसका दिल बड़ा हो।”
कुछ ने कहा, “जो ज़्यादा बुद्धिमान हो।”
पर कोई उत्तर पूरी तरह से सही नहीं लगा।

अकबर ने बीरबल की ओर देखा, “क्या कहते हो तुम, बीरबल?”

बीरबल मुस्कराए और बोले,
“जहाँपनाह, उत्तर आज़माकर दिखाता हूँ।”

अगले दिन बीरबल एक अनोखी कठपुतली लेकर दरबार में आए।
उस कठपुतली के दो सिर थे — दोनों विपरीत दिशा में मुड़ते और हिलते थे।
बीरबल ने दोनों सिरों को आपस में बहस करते दिखाया — एक कह रहा था “इधर चलो”, तो दूसरा कहता “उधर चलो”।
आखिरकार, कठपुतली संतुलन खो बैठी और गिर गई।

बीरबल ने कहा,
“यह वही होता है जब दो राजा एक ही ताज साझा करने की कोशिश करते हैं।
नेतृत्व तब सफल होता है जब दिशा एक होती है।
दो सोचें — दो इरादे — एक ही शासन में उलझन और पतन लाते हैं।”

अकबर ने सिर हिलाया और कहा,
“बीरबल, तुमने एक खेल में गहरी राजनीति समझा दी।”

नीति: नेतृत्व में एकता ज़रूरी है। दो दिशाओं में सोचने वाला शासन, दिशा खो बैठता है।
         प्रगति वहाँ होती है जहाँ विचार, उद्देश्य और नेतृत्व एक होते हैं।