घायल पत्थर

घायल पत्थर

bookmark

एक दिन सम्राट अकबर अपने बाग़ में टहल रहे थे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक लड़का पेड़ पर पत्थर फेंक रहा था ताकि आम गिर सके। लेकिन जैसे ही उसने जोर से पत्थर मारा, वह पत्थर टकराकर पलट गया और सीधे उसके माथे पर लगा। लड़का रोने लगा और गिर पड़ा।

अकबर यह दृश्य देखकर मुस्कुराए और बोले, “हाहा, देखा! पेड़ को मारने चला था, खुद ही घायल हो गया।”

बीरबल पास खड़े थे। उन्होंने गंभीरता से कहा,
“जहाँपनाह, यही जीवन का नियम है।
जो पत्थर हम दूसरों को चोट पहुँचाने के लिए फेंकते हैं, वह अक्सर घूमकर हमें ही घायल करता है।
यह प्रकृति का न्याय है — बुराई का जवाब, बुराई से नहीं, बल्कि परिणामों से मिलता है।”

अकबर ने सिर हिलाते हुए उस लड़के को उठाने का आदेश दिया और बोला,
“बीरबल, आज तुमने एक बच्चे की गलती से हम सभी को एक बड़ी सीख दी।”

नीति: दूसरों को चोट पहुँचाने की कोशिश, सबसे पहले हमें ही घायल कर देती है।
         बुरे कर्मों की चोट अक्सर लौटकर अपने ही मन को लगती है।