मोमबत्ती और सूरज

मोमबत्ती और सूरज

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एक बार अकबर और बीरबल शाही बाग में टहल रहे थे। रास्ते में एक मोमबत्ती जल रही थी, जो रात के अंधेरे में तेज़ रोशनी फैला रही थी। उसी समय, बीरबल ने एक कल्पनात्मक कहानी सुनाई:

"एक बार एक मोमबत्ती बहुत घमंड में थी। वह बोली, 'देखो, रात भी मुझसे डरती है। जहाँ मैं जलती हूँ, वहाँ अंधेरा भाग जाता है।'
वह खुद को सबसे बड़ी मानने लगी — सोचने लगी कि वही दुनिया की सबसे शक्तिशाली रोशनी है।

तभी सुबह हुई और सूरज उग आया। जैसे ही उसकी पहली किरणें ज़मीन पर पड़ीं, मोमबत्ती खुद-ब-खुद बुझ गई।
उसे समझ आ गया कि उसकी रोशनी अस्थायी थी, जबकि सूरज की रोशनी शाश्वत और संपूर्ण है।

बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा, 'अहंकार थोड़ी देर के लिए चमकता है, लेकिन विनम्रता और सच्चा तेज़ समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरता है।'"

नीति : "घमंड क्षणिक होता है, विनम्रता चिरस्थायी। अस्थायी चमक को सच्चाई न समझो।"