
अकेली बूँद

एक दिन एक साधारण ग्रामीण ने दरबार में आकर सम्राट अकबर से कहा,
“जहाँपनाह, मैं हर दिन ईमानदारी से प्रार्थना करता हूँ, लेकिन फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ता। लगता है मेरी प्रार्थना में कोई शक्ति नहीं।”
अकबर ने उसकी बात बीरबल तक पहुँचाई।
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “महाराज, इस प्रश्न का उत्तर मैं उसे अनुभव से दूँगा।”
अगले दिन बीरबल उस ग्रामीण को महल के बाग़ में ले गए। संयोगवश उस समय हल्की फुहारें पड़ रही थीं — बूँद-बूँद बारिश।
बीरबल ने ग्रामीण से कहा, “देखो, अभी यह हल्की-सी बारिश ज़मीन को भिगो रही है। एक बूँद अकेले कुछ नहीं कर सकती, लेकिन हजारों बूँदें मिलकर खेतों को जीवन दे सकती हैं, झीलें भर सकती हैं, नदियाँ बहा सकती हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “तुम्हारी एक प्रार्थना, एक छोटा प्रयास — वह अकेले भले ही बड़ा असर न दिखाए, लेकिन जब वही भावना और प्रयास लगातार किए जाएँ और दूसरों से जुड़ें, तब मिलकर वे बदलाव लाते हैं।”
ग्रामीण ने सिर झुकाकर कहा, “अब मुझे समझ आ गया — मेरे प्रयास व्यर्थ नहीं हैं।”
अकबर ने यह सुनकर बीरबल की सराहना की।
नीति: एक बूँद से बाढ़ नहीं आती, पर कई बूँदें मिलकर इतिहास बदल सकती हैं।
छोटे प्रयास, जब मिलकर किए जाएँ, तो बड़ा परिवर्तन लाते हैं।