सोता हुआ पहरेदार

सोता हुआ पहरेदार

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एक रात, महल में गश्त करते समय एक मंत्री की नज़र एक पहरेदार पर पड़ी — जो ड्यूटी के दौरान गहरी नींद में था।
यह खबर तुरंत सम्राट अकबर तक पहुँची।

अकबर गुस्से में आगबबूला हो गए।
"राजमहल की सुरक्षा इतनी लापरवाह हो गई है? अगर कोई शत्रु भीतर आ जाए, तो कौन ज़िम्मेदार होगा?"
उन्होंने पहरेदार को तुरंत दरबार में तलब किया।

अकबर ने कठोर स्वर में पूछा,
"क्या तुम्हें मालूम है कि एक पहरेदार का काम कितना ज़िम्मेदार होता है? तुम ड्यूटी के वक़्त सो रहे थे!"

पहरेदार ने सिर झुका लिया। वह कांप रहा था, और माफी माँगने लगा।

तभी बीरबल ने विनम्रता से कहा,
"जहाँपनाह, अगर यह पहरेदार आपकी सेवा में इतने भय के साथ नींद में भी खड़ा रह सकता है, तो सोचिए जागते समय कितनी सावधानी रखता होगा। यह तो आपकी इज़्ज़त और डर के कारण हर समय सशंकित है — यहाँ तक कि इसकी नींद भी चौकस है!"

अकबर यह सुनकर मुस्कुरा उठे।
उन्होंने कहा,
"बीरबल, तुम्हारी बात में सच्चाई है। डर से नहीं, पर हम दया से अधिक वफ़ादारी पा सकते हैं।"

अकबर ने पहरेदार को चेतावनी देकर माफ कर दिया और बीरबल की समझदारी की प्रशंसा की।

नीति: कभी-कभी दया, डर से बेहतर वफ़ादारी लाती है।
        अनुशासन ज़रूरी है, लेकिन करुणा उससे कहीं ज़्यादा प्रभावशाली हो सकती है।