सपने की क़ीमत

सपने की क़ीमत

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एक दिन दरबार में एक गरीब किसान रोते-बिलखते आया और सम्राट अकबर से न्याय की गुहार लगाने लगा।

उसने कहा,
“जहाँपनाह! मैंने कल रात एक बेहद सुंदर सपना देखा — मैं बहुत अमीर था, एक भव्य महल मेरा था, हाथी-घोड़े, सेवक-सेविकाएँ सब मेरी सेवा में थे। मेरी झोपड़ी एक राजमहल जैसी लग रही थी। लेकिन आज सुबह जैसे ही मेरी आँख खुली, मेरी असली झोपड़ी बारिश में गिर गई।”

फिर किसान बोला,
**“मुझे लगता है कि ये दुर्भाग्य है — मैंने जो सपना देखा, शायद उसी का बुरा असर हुआ। मैंने एक रात का सुख भोगा, और बदले में यह विपत्ति मिल गई।”

अकबर मुस्कराए, लेकिन बोले कुछ नहीं। उन्होंने बीरबल की ओर देखा।

बीरबल किसान के पास गए और शांत स्वर में बोले,
“भाई, अगर तुम सपने में अमीरी का सुख भोग सकते हो — बिना मेहनत के, तो क्या यह उचित नहीं कि वास्तविक जीवन की कठिनाइयाँ भी सहो? तुमने सपना देखा, पर अब जीवन की हकीकत से भाग रहे हो।”

किसान चुप हो गया।

बीरबल आगे बोले,
“समस्या सपने देखने में नहीं है, पर जब हम उन्हें सच मान लेते हैं और हकीकत से मुँह मोड़ लेते हैं — तब दुख होता है। अगर जीवन को सच में बदलना है, तो मेहनत करनी होगी। सपनों में महल बनते हैं, लेकिन ज़मीन पर उन्हें बनाने में पसीना बहाना पड़ता है।”

अकबर ने किसान को कुछ सहायता दी और समझाया कि जीवन केवल कल्पना में नहीं चलता — उसे हकीकत में जीना और सँवारना पड़ता है।

नीति : “भ्रम में सुख लेना आसान है, लेकिन जीवन की सच्चाई का सामना ही असली साहस है।”
          “सपने देखो, पर जीवन हकीकत में जियो — वरना भ्रम ही तुम्हारा दुर्भाग्य बन जाएगा।”