भलाई की श्रृंखला

भलाई की श्रृंखला

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एक दिन दरबार में "एक छोटे कार्य का बड़ा प्रभाव" विषय पर चर्चा हो रही थी।

अकबर ने पूछा,
“क्या सच में एक छोटा-सा नेक काम दुनिया को बदल सकता है?”

बीरबल ने विनम्रता से कहा,
“जहाँपनाह, भलाई की सबसे बड़ी ताक़त यह है कि वह एक व्यक्ति से शुरू होकर सैकड़ों तक पहुँच सकती है — जैसे एक दीपक से हजारों दीप जल सकते हैं।”

अकबर बोले,
“कोई उदाहरण है?”
बीरबल ने मुस्करा कर एक हाल ही में हुई घटना सुनाई:

"कल मैंने एक भिखारी को एक चाँदी का सिक्का दिया। वह सीधा पास की बेकरी गया और एक रोटी खरीदी। लेकिन उसने वह पूरी रोटी नहीं खाई — आधी खुद खाई और आधी वहीं सड़क पर बैठे एक भूखे कुत्ते को दे दी।"

"बेकरी का मालिक यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ। उसने उस भिखारी को मुफ्त में कुछ और रोटियाँ दे दीं — यह देखकर कि भूख के बावजूद वह दूसरों का ख्याल रखता है।"

"उसी समय एक अमीर राहगीर यह दृश्य देख रहा था। वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने बेकरी वाले को दोगुना भुगतान दिया — यह कहते हुए कि ‘तुमने आज इंसानियत में मेरी आस्था लौटा दी।’"

"और देखिए, जहाँ सिर्फ़ एक सिक्के से शुरुआत हुई थी, वहाँ कई लोगों का दिन बन गया — भिखारी, कुत्ता, बेकरी वाला और राहगीर सभी किसी न किसी रूप में भलाई से जुड़े और बदले में कुछ अच्छा पाया।”

अकबर गहराई से सोच में पड़ गए और बोले,
“तो भलाई का असर कभी वहीं नहीं रुकता, जहाँ वो शुरू होती है।”

बीरबल ने सिर हिलाया और कहा,
“ठीक वैसे ही जैसे पानी में फेंका गया एक कंकड़, दूर तक लहरें बनाता है — एक अच्छा कार्य भी समाज में अच्छाई की लहरें फैलाता है।”

नीति : “एक नेक काम, सिर्फ़ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता — वह अनगिनत दिलों को छू सकता है।”
          “भलाई को छोटा मत समझो — वह एक अदृश्य श्रृंखला है, जो आगे बढ़ती जाती है।”