
बिना बीज का फल

एक दिन दरबार में एक व्यापारी आया जो एक विशेष प्रकार का फल बेच रहा था। वह गर्व से बोला, “जहाँपनाह! यह है मेरा जादुई फल — बिना बीज का। इसका स्वाद भी बेहतरीन है और इसमें कोई बीज नहीं जो खाने में रुकावट डाले। यह पूर्ण रूप से उपयोगी है।”
अकबर ने फल देखा, चखा और बोले, “स्वाद तो अच्छा है।”
दरबारियों ने भी उसकी तारीफ की। व्यापारी मुस्कराकर बोला, “यही है असली जादू — बिना किसी झंझट के फल।”
बीरबल चुपचाप सब देख-सुन रहे थे। फिर उन्होंने एक प्रश्न पूछा, “अगर यह फल इतना अच्छा है, तो इसकी फसल कौन उगाएगा?”
व्यापारी ने जवाब दिया, “उगाना तो मुश्किल है, क्योंकि इसमें बीज ही नहीं है।”
बीरबल बोले, “तो यह सिर्फ आज का आनंद है — कल का नहीं। जिस फल में बीज नहीं, वह भविष्य नहीं दे सकता। वह मिट जाएगा, क्योंकि वह आगे नहीं बढ़ सकता।”
बीरबल ने अकबर की ओर देखा और कहा, “जहाँपनाह, यह फल भले ही स्वादिष्ट हो, लेकिन यह विकास नहीं लाता। असली मूल्य उस चीज़ का होता है, जिसमें बीज हो — जो कल को जन्म दे सके। बीज ही भविष्य है।”
नीति : “विकास बीज और जड़ों से होता है — जो भविष्य देगा वही सच्चा फल है।”
“जिसमें बीज नहीं, वह केवल आज है — कल नहीं।”