
बिना पहिए की गाड़ी

एक दिन दरबार में एक अमीर व्यापारी पहुँचा। वह बहुत क्रोधित था और सम्राट अकबर से शिकायत करने लगा,
"जहाँपनाह, आपके राज्य की सड़कों की हालत इतनी ख़राब है कि मेरी कीमती गाड़ी का एक पहिया टूट गया! अगर इस तरह सड़कों का रख-रखाव रहेगा, तो हम व्यापार कैसे करें?"
अकबर ने व्यापारी की बात सुनी और बीरबल की ओर देखा।
बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा, “जहाँपनाह, यदि अनुमति दें तो मैं इस मामले की जाँच करूँ।”
बीरबल ने गाड़ी को मंगवाया और सभी पहियों की जाँच की। तीन पहिए अच्छी लकड़ी के, मजबूत और संतुलित थे। लेकिन चौथा पहिया कमजोर, पुराना और खराब तरीके से जोड़ा गया था।
बीरबल बोले,
“व्यापारी जी, आपकी गाड़ी में दोष सड़क में नहीं, इस चौथे पहिए में है। आप तीन अच्छे पहियों के भरोसे चल रहे थे, और एक कमजोर कड़ी पर ध्यान नहीं दिया।
अब जब यह टूटा, तो आपने सड़कों को दोष देना शुरू कर दिया।”
अकबर ने गंभीर स्वर में कहा,
“अगर हम अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपें, तो हम कभी नहीं सीख पाएँगे। एक व्यापारी को अपनी गाड़ी उतनी ही देखनी चाहिए जितनी राह।”
व्यापारी शर्मिंदा हुआ और गलती स्वीकार कर ली।
नीति: दुनिया को दोष देने से आपकी कमज़ोरियाँ मजबूत नहीं होतीं।
जब तक आप अपनी गलतियों की मरम्मत नहीं करेंगे, कोई रास्ता सही नहीं लगेगा।