
अदृश्य सीढ़ी

एक दिन सम्राट अकबर दरबार में चिंतन mood में बैठे थे। उन्होंने देशभर के गरीबों की हालत के बारे में सुना था — और सोच में पड़ गए कि बिना धन, शक्ति या संसाधनों के लोग जीवन में कैसे आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, बताओ — जिनके पास न धन है, न ऊँची पहचान, वे जीवन में ऊपर कैसे उठते हैं? क्या उनके पास कोई साधन नहीं होता?”
बीरबल मुस्कराए और बोले, “जहाँपनाह, उनके पास भी एक सीढ़ी होती है। जो दिखती नहीं, पर सबसे मज़बूत होती है — ईमानदारी।”
अकबर ने रुचि लेते हुए कहा, “समझाओ विस्तार से।”
बीरबल बोले, “ईमानदारी वो अदृश्य सीढ़ी है जो किसी को भी ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है। यह न बिकती है, न टूटती है। जो इसे पकड़कर चलता है, वह धीरे-धीरे लेकिन स्थायी रूप से ऊपर उठता है। ऐसा इंसान चाहे गरीब हो, पर समय आने पर सबका सम्मान पाता है।”
फिर बीरबल ने एक सच्ची घटना सुनाई — कैसे एक गरीब किसान ने ईमानदारी से काम कर एक बड़ा अवसर प्राप्त किया, जबकि धनवान लेकिन भ्रष्ट लोग गिरते गए।
बीरबल ने अंत में कहा, “धन कई बार रास्ता बनाता है, लेकिन जब वो रास्ता बंद हो जाए, तो ईमानदारी वो सीढ़ी बनती है, जो वहाँ से भी ऊपर ले जाती है जहाँ पैसा भी न पहुँच सके।”
नीति : “जहाँ धन नहीं पहुँचता, वहाँ ईमानदारी ऊँचाई तक ले जाती है।”
“ईमानदारी वह अदृश्य सीढ़ी है जो असली सफलता तक पहुँचाती है।”